बेबी कॉर्न की खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
बेबी कॉर्न के अंदर कार्बोहाइड्रेड, कैल्सियम, प्रोटीन और विटामिन विघमान होता है। वहीं, इसको कच्चा या पका कर भी खाया जा सकता है। अपने इन गुणाें की वजह से बेबी कॉर्न ने अपना एक बाजार विकसित किया है।
अब ऐसी स्थिति में किसानों के लिए इसकी पैदावार बेहद ही फायदेमंद है। मक्का की खेती करने से किसानों को अधिकांश अच्छा लाभ ही प्राप्त होता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण इन दिनों दिखाई दे रहा है।
आलम यह है, कि वर्तमान में किसान भाइयों को मक्के (Maize) का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ज्यादा मिल रहा है। कुल मिलाकर भारत के अंदर मक्का, गेहूं और चावल के उपरांत तीसरे सबसे महत्वपूर्ण फसल (Crop) बन कर उभरा है।
दरअसल, मक्के की खेती करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। लेकिन, आज के दौर में मक्के की खेती विभिन्न प्रकार से किसान भाइयों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकती है, जिसमें बेबी कॉर्न (Baby Corn) का उत्पादन किसानों को दोगुना लाभ प्रदान कर सकता है। आगे जानेंगे बेबी कॉर्न और इसकी खेती के बारे में।
बेबी कॉर्न की बढ़ती खपत के चलते मांग में भी निरंतर वृद्धि
भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में बेबी कॉर्न (Baby Corn) की खपत और मांग दोनों तेजी से बढ़ रही है। पौष्टिकता के साथ ही अपने स्वाद की वजह से बेबी कॉर्न (Baby Corn) ने अपना एक बाजार स्थापित किया है।
वहीं, पत्तों के लिपटे होने की वजह से इसमें कीटनाशकों का असर नहीं होता है। इस वजह से भी इसकी मांग काफी अधिक है। ऐसे में बेबी कॉर्न का उत्पादन कैसे होता है, पहले यह जानना अत्यंत आवश्यक है।
वास्तविकता में बेबी कॉर्न (Baby Corn) मक्के की शुरूआती अवस्था है, जिसे अपरिपक्व मक्का अथवा शिशु मक्का भी कहा जाता है। मक्के की फसल में भुट्टा आने के उपरांत एक निर्धारित समय में इसको तोड़ना पड़ता है।
सालभर में 4 बार उपज के साथ मवेशियों के लिए चारा
बेबी कॉर्न (Baby Corn) का उत्पादन किसान भाइयों के लिए अत्यंत फायदेमंद होता है। बतादें, कि बेबी कॉर्न की बुवाई होने के बाद 50 से 55 दिन में उत्पादन लिया जा सकता है।
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इस तरह किसान एक साल में बेबी कॉर्न (Baby Corn) की 4 फसलें कर सकते हैं, जिसमें किसान प्रति एकड़ 4 से 6 क्विंटल बेबी कॉर्न की उपज ले सकते हैं। साथ ही, मक्के की फसल से बेबी कॉर्न (Baby Corn) तोड़ लेने के पश्चात पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था भी सहजता से हो जाती है। किसान 80 से 160 क्विंंटल हरे चारे का उत्पादन कर सकते हैं।
किसान बेबी कॉर्न की तुड़ाई कब करें
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि दक्षिण भारत में वर्षभर बेबी कॉर्न की खेती की जा सकती है। वहीं, उत्तर भारत में फरवरी से नंवबर के मध्य बेबी कॉर्न की पैदावार की जा सकती है।
मक्का अनुसंधान निदेशालय पूसा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेबी कॉर्न का उत्पादन सामान्य मक्के की खेती की भांति ही है।
हालाँकि, कुछ विशेष सावधानियां बरतने की अत्यंत आवश्यकता होती है, जिसके अंतर्गत किसान को बेबी कॉर्न के उत्पादन के लिए मक्के की एकल क्रास संकर किस्म की बुवाई करनी चाहिए। किसान एक हेक्टेयर में 20 से 24 केजी बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बेबी कॉर्न की खेती के लिए ज्यादा पौधे लगाने चाहिए। इस कारण से उर्वरक का अधिक इस्तेमाल करना पड़ता है। साथ ही, तुड़ाई के समय का भी विशेष ध्यान रखना होता है।
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इसके अंदर सिल्क आने के बाद 24 घंटे के अंदर तुड़ाई आवश्यक है। सिल्क की लंबाई लगभग 3 से 4 सेमी होनी चाहिए। तोड़ने के बाद पत्ते नहीं हटाने से बेबी कॉर्न दीर्घकाल तक ताजा रहते हैं।
कनाडा ने भारत से बेबी कॉर्न आयात की मांग की
बेबी कॉर्न के अंदर विभिन्न प्रकार के पौष्टिक गुण विघमान होते हैं। इसमें प्रमुख रूप से बेबी कॉर्न के अंदर कैल्सियम, प्रोटीन, विटामिन और कार्बोहाइड्रेड होता है।
वहीं, इसे कच्चा या पका कर भी खाया जा सकता है। अपने इन गुणों के कारण बेबी कॉर्न ने अपना एक बाजार विकसित किया है। बीते दिनों बेबी कॉर्न के आयात के लिए कनाडा ने भारत सरकार के साथ बातचीत भी की है।
1-पूसा बासमती 1 जिस की पैदावार 50 कुंतल प्रति हेक्टेयर है 135 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।
2-पूसा बासमती 1121 जिसकी पैदावार 50 कुंतल प्रति हेक्टेयर है एवं 140 दिन में पक जाती है। पकाने के दौरान चावल 4 गुना लंबा हो जाता है।
3-पूसा बासमती 6 की पैदावार 55 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। आप पकने में 150 दिन का समय लेती है।
4-पूसा बासमती 1509 का उत्पादन 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है. यह पत्नी है 120 दिन का समय लेती है. जल्दी पकने के कारण बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी है.
5-पूसा बासमती 1612 का उत्पादन 51 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है . पकने में 120 दिन का समय लेती है . यह ब्लास्ट प्रतिरोधी किस्म है।
6-पूसा बासमती 1592 का उत्पादन 47.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है .यह पकने में 120 दिन का समय लेती है .बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी है.
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1-एचडी 3059 का उत्पादन 42.6 कुंतल प्रति हेक्टेयर व पकाव अवधि 121 दिन है। यह पछेती की किस्में है।
2-एचडी 3086 का उत्पादन 56.3 कुंटल एवं पकाव अवधि 145 दिन है।
3-एचडी 2967 का उत्पादन 45.5 कुंतल प्रति हेक्टेयर। वह पकने में 145 से लेती है।
4-एच डी सीएसडब्ल्यू 18 का उत्पादन 62.8 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। पीला रतुआ प्रतिरोधी 150 दिन में पकती है।
5-एचडी 3117 से 47.9 कुंटल उत्पादन 110 दिन में मिल जाता है । यह किस्म करनाल बंट रतुआ प्रतिरोधी पछेती किस्म है।
6-एचडी 3226 से 57.5 कुंटल उत्पादन 142 दिन में मिल जाता है।
7-एचडी 3237 से 4 कुंतल उत्पादन 145 दिन में मिलता है।
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1-पूसा एच एम 4 संकर किस्म से 64.2 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है । यह पकने में 87 दिन का समय देती है और इसमें प्रोटीन अत्यधिक है।
2-पूसा सुपर स्वीट कॉर्न संकर सै 93 कुंतल उत्पादन 75 दिन में मिल जाता है।
3-पूसा एचक्यूपीएम 5 संकर 64.7 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन 92 दिन में मिलता है।
बाजरा (खरीफ)
1-पूसा कंपोजिट 701 से , 80 दिन में 23.5 कुंतल उत्पादन मिलता है।
2-पूसा 1201 संकर से 28.1 कुंतल उत्पादन 80 दिन में मिलता है।
1-पूसा 372 से 125 दिन में 19 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है।
2-पूसा 547 से 130 दिन में 18 कुंतल उत्पादन मिलता है।
1-अरहर की पूसा 991 किस्म 142 दिन में तैयार होती है व 16.5 कुंदन उत्पादन मिलता है।
2- पूसा 2001 से 18.7 कुंतल उत्पादन 140 दिन में मिलता है।
3- पूसा 2002 किस्म से 143 दिन में 17.7 कुंतल उपज मिलती है।
4-पूसा अरहर 16 से 120 दिन में 19.8 कुंतल उपज मिलती है।
1-पूसा विशाल 65 दिन में 11.5 कुंतल उपज देती है। यह किस्मत एक साथ पकने वाली है।
2- पूसा 9531 से 65 दिन में 11.5 कुंटल उत्पादन मिलता है। यह भी एक साथ पकने वाली किस्म है।
3- पूसा 1431 किस्म से 66 दिन में 12.9 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलता है।
1- एल 4076 किस्म 125 दिन में पकने वाली है । इससे 13.5 कुंतल उत्पादन मिलता है।
2- एवं 4147 से ,125 दिन में 15 कुंतल उपज मिलती है। दोनों किस्म फ्म्यूजेरियम बिल्ट रोग प्रतिरोधी है।
1-जल्द पकने वाली पीएम 25 किस्म से 105 दिन में 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है।
2-प्रीति बाई के लिए उपयुक्त पीएम 26 किस्म से 126 दिन में 16.4 कुंतल तक उपज मिलती है।
3-41.5% की उच्च तेल मात्रा वाली पीएम 28 किस्म 107 दिन में 19.9 कुंतल तक उपज दे जाती है।
4-कुछ तेल प्रतिशत वाली पीएम 3100 किस्म से 23.3 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिलती है ।यह पकने में 142 दिन का समय लेती है।
5- पीएम 32 किस्म से 145 दिन में 27.1 कुंतल उपज दे ती है।
1-पुसा सोयाबीन 9712 किस्म पीला मोजेक प्रतिरोधी है। 115 दिन में 22.5 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज देती है।
2-पूसा 12 किस्म 128 दिन मैं 22.9 कुंतल उपज देती है।